CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् सन्धि-प्रकरण

CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् सन्धि – प्रकरण

पाठ्यक्रम में पाँच अंश हैं – (i) सन्धि, (ii) समास, (ii) प्रत्यय, (iv) अन्विति (v) उपपदविभक्ति।
समास के अंतर्गत अव्ययीभाव, तत्पुरुष, द्विगु, कर्मधारय, द्वन्द्व तथा बहुव्रीहि समास हैं। प्रत्यय के अंतर्गत कृदन्त (क्त, क्तवतु, क्त्वा, ल्यप्, तुमुन्, तव्यत्, अनीयर्, यत्, क्तिन्,) तथा तद्धित (मतुप्, इन्, ठक्, ठञ्, त्व तथा तल्) आते हैं। सन्धि, समास तथा उपपद विभक्ति के संपूर्ण उदाहरण पाठ्यपुस्तक पर आधारित होंगे। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आगे आने वाले पृष्ठों में व्याकरण के नियम बताकर वे सभी उदाहरण दिए गए हैं जो पाठ्यपुस्तक में आए हैं।

  1. सन्धि-प्रकरण
  2. समास-प्रकरण
  3. प्रकृति-प्रत्यय-विभाग
  4. अन्विति-प्रकरण
  5. उपपदविभक्ति प्रयोग

1. सन्धि-प्रकरण
अत्यंत समीपवर्ती दो वर्गों के मेल को सन्धि कहते हैं; जैसे- ‘यमुनाभम्’ में ‘यमुना’ व ‘आभम्’ पदों में दो समीपवर्ती आ, आ वर्गों का मेल होकर एक ‘आ’ वर्ण हो गया है। सन्धि को संहिता भी कहते हैं। सन्धि के नियमअत्यन्त निकट होने के कारण दो वर्षों में कभी सुविधा से, तो कभी शीघ्रता के परिणामस्वरूप परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन निम्न प्रकार से होता है; जैसे

    1. कभी दोनों वर्गों के स्थान पर एक नया वर्ण बन जाता है; जैसे- गङ्गा + इव = गङ्गेव । यहाँ ‘आ’ तथा ‘इ’ के मेल से नया वर्ण ‘ए’ बन गया है।
    2. कभी पूर्व वर्ण में परिवर्तन हो जाता है; जैसे- इति + एषः = इत्येषः। यहाँ इति के अंतिम वर्ण ‘इ’ को ‘ए’ परे होने पर ‘य’ हो गया है।
    1. कभी उत्तरवर्ती (परवर्ती) वर्ण का लोप हो जाता है; जैसे- बाले + अस्मिन् = बालेऽस्मिन्। यहाँ अस्मिन् के ‘अ’ का लोप दिखाने के लिए अवग्रह CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् सन्धि-प्रकरणका चिह्न अंकित किया गया है।
  1. कभी दो वर्षों के बीच में एक नया वर्ण आ जाता है; जैसे- तरु + छाया = तरुच्छाया। यहाँ ‘उ’ और ‘छ’ के बीच ‘च्’ का आगमन हुआ है।
  2. कभी वर्ण द्वित्व हो जाता है; जैसे- पिबन् + इव = पिबन्निव।

सन्धि के भेद –
(क) स्वर सन्धिः
(ख) व्यञ्जन सन्धिः
(ग) विसर्ग सन्धिः

(क) स्वर सन्धि : दो समीपस्थ स्वरों में परिवर्तन हो तो उसे स्वर सन्धि कहते हैं; जैसे- केन + अपि = केनापि।
स्वर संन्धि के प्रकार – दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि, पूर्वरूप।

(i) दीर्घ सन्धि- समान वर्ण परे होने पर अक् (अ, इ, उ) को दीर्घ हो जाता है; जैसे
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उदाहरण :
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(i) गुण सन्धि – ‘अ’ या ‘आ’ के अनन्तर ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ, लू हों तो वे क्रमशः ए, ओ, अर्, अल् हो जाते । है; जैसे –
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(iii) वृद्धि सन्धि – ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ए, ऐ तथा ओ, औ होने पर दोनों के मेल से ऐ, औ हो जाते हैं –
अ, आ + ए, ऐ = ऐ                  अ, आ + ओ, औ = औ ।
उदाहरण :
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(iv) यण् सन्धि – इक् अर्थात् ह्रस्व या दीर्घ इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लू के अनन्तर कोई असवर्ण (असमान) स्वर आए तो इ, उ, ऋ, लू के स्थान पर क्रमश: य्, व, र, ल्, (यण्) हो जाते हैं तथा परवर्ती स्वर इन वर्गों के साथ मिल जाते हैं; जैसे –
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(v) अयादि सन्धि – ए, ओ, ऐ, औ (एच्) के अनन्तर कोई भी स्वर हो तो ‘ए’ को अय्, ‘ओ’ को ‘अ’, ‘ऐ’ को ‘आय्’ तथा ‘औ’ को ‘आव्’ हो जाते हैं।
उदाहरण:
रात्रौ + अपि = रात्रावपि

(vi) पूर्वरूप सन्धि- यदि पदान्त (पद के अंत) में ‘ए’ या ‘ओ’ हो तथा बाद में ह्रस्व ‘अ’ हो तो अयादि संधि का । नियम लागू नहीं होता अपितु परवर्ती स्वर ‘अ’ पूर्ववर्ती स्वर में बिना परिवर्तन के मिल जाता है तथा उसके स्थान पर () पूर्वरूप यह चिह्न हो जाती है; जैसे –
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(ख) व्यञ्जन सन्धि – किसी व्यंजन का किसी व्यंजन या स्वर के साथ मेल होने पर व्यंजन में जो परिवर्तन होता है। उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं; जैसे –

(i) न् को द्वित्व – ‘न’ से पहले ह्रस्व अ, इ, उ हो तथा ‘न्’ के बाद कोई स्वर हो तो ‘न्’ को द्वित्व हो जाता है।
पिबन्     + इव    = पिबन्निव
पीडयन्, + अङ्गः = पीडयन्नङ्गः
ध्यक्षन्    + इव    = ध्यक्षन्निव
तस्मिन्   + एव    = तस्मिन्नेव
खादन्    + अपि  = खादन्नपि
गच्छन्   + एव     = गच्छन्नेव। इत्यादि
कुर्वन्    + अस्ति = कुर्वन्नस्ति

(ii) त्- च् (च परे होने पर)
अचिरात् + च = अचिराच्च यत् + च = यच्च
तत् + श्रुत्वा = तच्छुत्वा (श् परे होने पर त् को च् तथा श् को छू हो जाता है)

(iii) त् – ज् (ज परे होने पर)।
वशात् + जनः = वशाज्जनः

(iv) हल् सन्धिः (जश्त्व सन्धि) – पूर्वपद के अन्त में क्, च्, ट्, त्, ए होते हैं और बाद में कोई वर्ण होता है। पूर्वपद के स्थान पर क्रमशः वर्ग का तीसरा वर्ण होता है; जैसे – क् → ग्। च् → ज् ट्। → ड्। त् → दू। तथा प् → ब्।
उदाहरण – त् → द्
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(v) अनुस्वार सन्धि : ‘म्’ के स्थान पर अनुस्वार हो जाता है।
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(ग) विसर्ग सन्धि-विसर्ग से परे स्वर या व्यंजन होने पर विसर्ग में होनेवाले परिवर्तन को विसर्ग संधि कहते हैं।

(i) सत्व > विसर्ग को स् – (‘त’ परे होने पर)
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(ii) शत्व > विसर्ग को श्- (‘च’ परे होने पर)
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(iii) उत्व > विसर्ग को उ- (पूर्ववर्ती ‘अ’ के साथ मिलकर ‘ओ’)
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(vi) रत्व > विसर्ग को र्- (परवर्ती स्वर, वर्ग का 3, 4, 5, य्, र, ल, व्, हु, होने पर)
उदाहरण :
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(v) विसर्ग लोपः (एषः एवं सः का संयोग यदि किसी भी स्वर व व्यंजन के साथ हो तो विसर्ग का लोप ही जाता है)
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अभ्यासार्थ

निम्न वाक्येषु स्थूलशब्देषु सन्धिच्छेदं कुरुत –

1. तृणानि भूमिरुदकम्।
उत्तर:
भूमिः + उदकम्

2. एतान्यपि सतां गेहे।
उत्तर:
एतानि + अपि

3. नोच्छिद्यन्ते कदाचन।
उत्तर:
न + उच्छिद्यन्ते

4. अहिंसया च भूतात्मा।
उत्तर:
भूत + आत्मा

5. सत्यमेव जयति नानृतम्।
उत्तर:
न + अनृतम्

6. सत्येन पन्था विततोदेवयानः।
उत्तर:
विततः + देवयानः

7. येनाक्रमन्त्य॒षयो ह्याप्तकामाः।
उत्तर:
येन + आक्रमन्ति + ऋषयः, हि + आप्तकामाः

8. यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति।
उत्तर:
यः + तुः, भूतानि + आत्मनि + एव + अनुपश्यति

9. सर्वभूतेषु चात्मानम् ततो न विजुगुप्सते।
उत्तर:
च + आत्मानम्, ततः + न

10. दुर्गं पथस्तत् कवयोवदन्ति।
उत्तर:
पथः + तत्, कवयः + वदन्ति

11. प्रारम्भे अपि सूर्योदयस्य रम्यम् वर्णनम् उपलभ्यते।
उत्तर:
सूर्य + उदयस्य

12. भगवतोमरीचिमालिनः।
उत्तर:
भगवतः + मरीचिमालिन:

13. एष भगवान् मणिराकाश-मण्डलस्य
उत्तर:
मणिः + आकाश

14. इनश्च दिनस्य।
उत्तर:
इन: + च।

15. अयम् एव कारणं षण्णाम् ऋतूणाम्।।
उत्तर:
षट् + नाम्

16. एष एव अङ्गीकरोति उत्तरं दक्षिणं चायनम्।
उत्तर:
एषः + एव, अम् + गीकरोति, च + अयनम्।

17. भो: भो: प्रासादाधिकृताः पुरुषा:।
उत्तर:
प्रसाद + अधिकृताः

18. सुगाङ्गप्रासादस्य उपरि स्थिताः प्रदेशाः संस्क्रियन्ताम्।
उत्तर:
सुगाम् + ग, सम् + क्रियन्ताम्

19. कौमुदी-महोत्सवः प्रतिषिद्धः?
उत्तर:
महा + उत्सवः

20. आर्य! अथ अस्मद्वचनात् कौमुदीमहोत्सवः आघोषित:?
उत्तर:
अस्मत् + वचनात्

21. अपहृतः पेक्षकाणाम् चक्षुषोविषयः?
उत्तर:
चक्षुषः + विषय:

22. अहो राजाधिराजमन्त्रिणो विभूतिः।
उत्तर:
राजा + अधिराजमन्त्रिणः + विभूति:

23. तदुपविशतु आर्यः।।
उत्तर:
तत् + उपविशतु

24. न प्रयोजनम् अन्तरा चाणक्यः स्वप्नेऽपिचेष्टते।
उत्तर:
स्वप्ने + अपि

25. वृषल! किम् अस्थाने महान् प्रजा-धनापव्यय:?
उत्तर:
धन + अपव्ययः

26. पितृवधात् क्रुद्धः राक्षसोपदेशप्रवणः।
उत्तर:
राक्षस + उपदेशप्रवणः

27. अतः इदानीं दुर्गसंस्कारः प्रारब्धव्यः।
उत्तर:
प्र + आरब्धव्यः

28. प्रत्युत्पन्नमतिः शीघ्रमेव निर्णयं कृत्वा आत्मरक्षां करोति।
उत्तर:
प्रति + उत्पन्नमतिः

29. कस्मिंश्चित् जलाशये त्रयोमत्स्याः प्रतिवसन्ति स्म।
उत्तर:
कस्मिन् + चित्, त्रयः + मत्स्याः

30. गच्छभिः मतस्यजीविभिः उक्तम्।
उत्तर:
गच्छद् + भिः

31. अहो, बहुमत्स्योऽयं सरः।
उत्तर:
बहुमत्स्यः + अयम्

32. अस्माभिः कदापि न अन्वेषितः।
उत्तर:
अनु + एषितः

33. अशक्तैर्बलिनः शत्रो: प्रपलायनं कर्तव्यम्।
उत्तर:
अशक्तैः + बलिनेः

34. आश्रितव्योऽथवा दुर्गः।
उत्तर:
आश्रितव्यः + अथवा

35. नान्या तेषां गतिर्भवेत्।
उत्तर:
न + अन्या, गति: + भवेत्

36. तन्न साम्प्रतं क्षणमप्यत्र अवस्थातुं युक्तम्।
उत्तर:
तत् + न, क्षणम् + अपि + अत्र

37. ते विद्वांसः देहभङ्ग कुलक्षयम् न पश्यन्ति।
उत्तर:
देहभम् + गम्

38. तदाकर्ण्य प्रत्युत्पन्नमतिः प्राह।
उत्तर:
तत् + आकर्त्य, प्रति + उत्पन्नमतिः

39. ममापि अभीष्टमेतत्।
उत्तर:
मम + अपि

40. तदन्यत्र गम्यताम् इति।
उत्तर:
तत् + अन्यत्र

41. किं वाङ्मात्रेणापि एतत् सर: त्यक्तुं युज्यते?
उत्तर:
वाक् + मात्रेण + अपि

42. जीवत्यनाथोऽपि वने विसर्जितः।
उत्तर:
जीवति + अनाथः + अपि

43. अनागतविधता प्रत्युत्पन्नमतिश्च निष्क्रान्तौ।
उत्तर:
प्रत्युत्पन्नमतिः + च

44. तैः मत्स्यजीविभि: जालैस्तं जलाशयम् निर्मत्स्यतां नीतम्।
उत्तर:
जालैः + तं ।

45. अहो! कीदृशीयं हिमानी राजते।
उत्तर:
कीदृशी + इयं

46. किम् एतानि पर्वतारोहाणस्य चित्राणि सन्ति?
उत्तर:
पर्वत + आरोहणस्य

47. इदम् अभियानम् अतीव रोचकम् साहसिकं चासीत्।
उत्तर:
च + आसीत्।

48. नास्ति सन्देहः।।
उत्तर:
न + अस्ति

49. किं लद्दाख-शब्दस्य कश्चिद् विशिष्टोऽर्थः?
उत्तर:
कः + चित्, विशिष्टः + अर्थ:

50. लद्दाखमार्गेणैव तिब्बत क्षेत्रे बौद्धधर्मस्य प्रवेशोऽभवत्।
उत्तर:
लद्दाखमार्गेण + एव, प्रवेशः + अभवत्

51. उपत्यकाया चित्रेऽस्मिन् या रेखा प्रतिभाति।
उत्तर:
चित्रे + अस्मिन्

52. यत: बालुका उड्डीय सर्वांभूमिम् आवृणोति।
उत्तर:
उत् + डीय, सर्वाम् + भूमिम्

53. इदं ‘लेह’ इत्यभिधानेन प्रसिद्ध पर्यटन स्थलम्।
उत्तर:
इति + अभिधानेन

54. एषः बौद्धधर्मस्य प्रसिद्धः प्राचीनश्च श्वेतस्तूपः।
उत्तर:
प्राचीनः + च

55. “स्टाक पैलेस” इत्याख्यः प्रासादोऽपि अत्रैव वर्तते।
उत्तर:
इति + आख्यः, प्रासादः + अपि, अत्र + एव

56. स्टाक पैलेस संग्रहालयोवर्तते।
उत्तर:
संग्रह + आलयः + वर्तते

57. किं तेऽपि उत्सवप्रिया:?
उत्तर:
ते + अपि

58. मानवः स्वभावादेव उत्सवप्रियाः।
उत्तर:
स्वभावात् + एव ।

59. बौद्धानां ‘गम्पा’ नाम वार्षिकोत्सवः शीते आयाति।
उत्तर:
वार्षिक + उत्सवः

60. सः प्रदेश: अत्रैव अस्ति।
उत्तर:
अत्र + एव

61. ग्रीष्मे ऋतौ पर्वतारोहिणोऽत्र प्रायः दृश्यन्ते।
उत्तर:
पर्वत + आरोहिणः + अत्र

62. एको हि दोषो गुणसन्निपाते।
उत्तर:
एकः + हि, दोषः + गुणसन्निपाते

63. निमज्जतीन्दोः किरणेष्विवाङ्कः।
उत्तर:
निमज्जति + इन्दोः, किरणेषु + इव + अङ्कः

64. जीवनस्य प्रत्येक क्षेत्रे सुभाषितानि साहित्ये सुलभानि सन्ति।
उत्तर:
प्रति + एकं

65. सन्मार्ग च प्रदर्शयन्ति।
उत्तर:
सत् + मार्ग

66. अस्मिन् पाठे केषाञ्चित् मधुरवचनानां सङ्कलनं प्रस्तूयते।
उत्तर:
केषाम् + चित्

67. सदयं हृदयं सुधामुचोवाचः।
उत्तर:
सुधामुचः + वाचः

68. येषां करणं परोपकरणं ते केषां न वन्द्याः ।
उत्तर:
पर + उपकरणं

69. हुतं च दत्तं च सदैव तिष्ठति।
उत्तर:
सदा + एव

70. यथा चतुर्भिः कनकम् परीक्ष्यते।
उत्तर:
परि + ईक्ष्यते

71. निर्घषणच्छेदन तापताडनैः।
उत्तर:
निर्घषण + छेदन

72. प्रविश्य हि छनयन्ति शठस्तथाविधाः।
उत्तर:
शठः + तथाविधा:

73. नसंवृत्ताङ्गान्निशिता इवेषवः।
उत्तर:
न + सम् + वृत्त + अङ्गात् + निशिता, इव + इषवः

74. स किंसखा।
उत्तर:
किम् + सखा

75. साधु न शास्ति योऽधिपम्।
उत्तर:
यः + अधिपम्

76. हितान्न यः संशृणुते स: किंप्रभुः।
उत्तर:
हितात् + न

77. सदानुकूलेषु हि कुर्वते रतिम्।
उत्तर:
सदा + अनुकूलेषु

78. नृपेष्वमात्येषु च सर्वसम्पदः।
उत्तर:
नृपेषु + अमात्येषु

79. लोभश्चेदगुणेन किम्?
उत्तर:
लोभः + चेत् + अगुणेन

80. पिशुनता यद्यस्ति किं पातकै:?
उत्तर:
यदि + अस्ति

81. सत्यंचेत्तपसा च किम्?
उत्तर:
सत्यम् + चेत् + तपसा

82. शुचिमनोयद्यस्ति तीर्थेन किम्?
उत्तर:
शुचिमनः + यदि + अस्ति

83. सदविद्या यदि किम्?
उत्तर:
सत् + विद्या

84. धनैरपयशो यद्यस्ति किं मृत्युना?
उत्तर:
धनैः + अपयशः

85. ‘चारुदत्तं’ नाटकस्य प्रथमाङ्कात् सङ्कलितः।
उत्तर:
प्रथम + अम् + कात्, सम् + कलितः

86. सः उदारतावशदानकारणात् च शीघ्रं दरिद्रो जातः।
उत्तर:
दरिद्रः + जातः

87. किन्तु दैन्येऽपि तस्य मनः भ्रष्टं न भवति।
उत्तर:
दैन्ये + अपि

88. दरिद्रावस्थायां मित्राणाम् उपेक्षया कटुः अनुभवः भवति।
उत्तर:
दरिद्र + अवस्थायां

89. नान्द्यन्ते ततः प्रविशति सूत्रधारः।
उत्तर:
नान्दी + अन्ते

90. किन्नु खलु अद्य प्रत्यूष एव गेहान्निष्क्रान्तस्य।
उत्तर:
किम् + नु, गेहात् + निष्क्रान्तस्य

91. चञ्चलायेते इव मेऽक्षिणी।
उत्तर:
मे + अक्षिणी

92. किन्नु खलु संविधा विहिता न वेति।
उत्तर:
वा + इति

93. आर्ये! इतः+तावत्।
उत्तर:
इतस्तावत्

94. आर्य! दिष्ट्या खलु आगतोऽसि।
उत्तर:
आगतः + असि

95. किम् अस्त्यस्माकं गेहे कोऽपि प्रातराश:?
उत्तर:
अस्ति + अस्माकं

96. घृतं गुडो दधि तण्डुलाश्च सर्वमस्ति।
उत्तर:
तण्डुलाः + च

97. नहि नहि, अन्तरापणे।
उत्तर:
अन्तर + आपणे

98. आर्य! अद्य ममोपवासः अस्ति।
उत्तर:
मम + उपवासः

99. यदि आर्यस्यानुग्रहः स्यात्।
उत्तर:
आर्यस्य + अनुग्रह

100. भणामि कार्यान्तरे व्यस्तः।
उत्तर:
कार्य + अन्तरे

101. अहम् अन्यत्र भुक्त्वा तस्यावासमेव गच्छामि।
उत्तर:
तस्य + आवासम् + एव

102. मयापि मैत्रेयेण परस्य आमन्त्रणकानि अभिलषणीयानि।
उत्तर:
मया + अपि

103. पुनरपि सन्तुष्टोऽहम्।
उत्तर:
पुनः + अपि

104. तदैव तत्रभवत: आर्यचारूदत्तस्य देवकार्यकारणात् गृहीतानि।
उत्तर:
तदा + एव

105. एष चारुदत्त: गृहदैवतानि अर्चयन् इतएवागच्छति।
उत्तर:
इतः + एव + आगच्छति

106. यावएनमुपसर्पामि।
उत्तर:
यावत् + एनम्।

107. भो: दारिद्र्यं खलु पुरुषस्य सोच्छ्वासं मरणम्।
उत्तर:
स + उत् + श्वास

108. न खल्वहं नष्टां श्रियम् अनुशोचामि।
उत्तर:
खलु + अहम्

109. सुखं हि दुःखान्यनुभूय शोभते।
उत्तर:
दुःखानि + अनुभूय

110. यथान्धकारादिव दीपदर्शनम्।
उत्तर:
यथा + अन्धकारात् + इव

111. इति प्रत्ययादेव ममार्थाः क्षीणाः जाताः।।
उत्तर:
प्रत्ययात् + एव, मम + अर्थाः

112. भाग्यक्रमेण हि धनानि पुनर्भवन्ति।
उत्तर:
पुन: + भवन्ति

113. एतत्तु मां दहति नष्टधनश्रियो मे।
उत्तर:
माम् + दहति, नष्टधनश्रियः +मे

114. सुहृदः स्फीता: भवन्त्यापदः।
उत्तर:
भवन्ति + आपद:

115. पापं कर्म च यत् परैरपि कृतं तत्तस्य संभाव्यते।।
उत्तर:
परैः + अपि

116. अङ्कुराद् अङ्कुराः निस्सरन्ति।
उत्तर:
अम् + कुरात्, अम् + कुराः

117. तथैव धनविनाशदु:खस्य।
उत्तर:
तथा + एव

118. चिन्त्यमानस्य नानाविधा: चिन्ताकुराः प्रादुर्भवन्ति।
उत्तर:
चिन्ता + अङ्कुराः, प्रादुः + भवन्ति

119. तदलं भवतः सन्तापेन।।
उत्तर:
तत् + अलं

120. विभवानुवशी भार्या दरिद्रेषु दुर्लभा।
उत्तर:
विभव + अनुवशा

121. सभागारस्य दृश्यम् अत्र वर्तते।
उत्तर:
सभा + आगारस्य

122. नमः सभाभ्य: सभापतिभ्यश्च।
उत्तर:
सभापतिभ्यः + च

123. अद्य अस्माकं मध्ये ग्रीष्मावकाश परियोजनाकायें।
उत्तर:
अस्माकम् + मध्ये, ग्रीष्म + अवकाश

124. सर्वोत्तमान् अङ्कान् लब्धवन्तः छात्राः समुपस्थिताः।
उत्तर:
सर्व + उत्तमान्, अम् + कान्

125. एते स्वाध्यायस्य विशिष्टांशान् अत्र प्रस्तोष्यन्ति।
उत्तर:
स्व + अध्यायस्य, विशिष्ट + अंशान्।

126. भागत्रयं भवेदस्य त्रिपुरस्य यथाक्रमम्।।
उत्तर:
भवेत् + अस्य

127. द्वितीयभागस्सञ्चारो जलस्यान्तर्बहिः क्रमात्।
उत्तर:
द्वितीयभागः + सञ्चारं:, जलस्य + अन्तर्बहिः

128. तृतीयभागस्सञ्चारस्त्वन्तरिक्षं भवेत् स्वतः।।
उत्तर:
तृतीयभागः + सञ्चारः + तु + अन्तरिक्ष

129. यदि जम्बूवृक्षस्य प्राग्वल्मीको समीपस्थ: भवेत्।
उत्तर:
प्राक् + वल्मीकः

130. तस्माद् दक्षिणपावें स्वादु सलिलं पुरुषद्वये भवष्यिति।
उत्तर:
तस्मात् + दक्षिणपाश्र्वे

131. तत्र तु एकं शून्यञ्च द्वे एव संख्ये महत्त्वपूर्ण स्तः।
उत्तर:
शून्यम् + च

132. परं समयाभावात् तस्याः सर्वस्याः प्रस्तुतिः अत्र न भविष्यति।
उत्तर:
समय + अभावात्

133. आधुनिकै: वैज्ञानिकैरपि तथैव मन्यते।।
उत्तर:
वैज्ञानिकैः + अपि, तथा + एव

134. सूर्य प्रति पूर्वाभिमुखा पृथिवी 365.25 वारं प्रतिवर्ष भ्रमति।
उत्तर:
पूर्व + अभिमुखा

135. तथैव नक्षत्रादयः पश्चिमं प्रति धावन्तः प्रतीयन्ते।।
उत्तर:
नक्षत्र + आद्यः

136. नातप्तं लोहं लोहेन सन्धत्ते।
उत्तर:
न + अतप्तं

137. सम्यग् वर्णितम् त्वया।
उत्तर:
सम्यक् + वर्णितम्

138. ओइम् द्यौः शान्तिरन्तरिक्षइम् शान्तिः।
उत्तर:
शान्तिः + अन्तरिक्षम्

139. सर्वे मिलित्वा उच्चरन्ति।।
उत्तर:
उत् + चरन्ति

140. तत् रात्रावपि किञ्चित् निकटं सरः गम्यताम्।
उत्तर:
रात्रौ + अपि, किम् + चित्

141. सः चन्द्रगुप्तस्य आदेशस्य उल्लङ्घनम् कर्तुम् उत्सहते स्म।।
उत्तर:
उत् + लङ्घनम्

142. तत् कुलिशपातोपमं वचः श्रुत्वा अनागत विधाता अवदत्।।
उत्तर:
कुलिशपात + उपमं

143. भगवतोबुद्धस्य सप्तदशशताब्द्याः मूर्तिः आकर्षणकेन्द्रम् अस्ति।
उत्तर:
भगवतः + बुद्धस्य

144. मन्ये उत्कीर्णा लेखा भित्तिलेखाश्च तिब्बतशैल्याः परिचायकाः।
उत्तर:
उत्कीर्णाः + लेखाः, भित्तिलेखाः + च

145. पर्वतारोहणाय ‘लिकिर’ ‘स्टाक’ नाम्नी स्थले उपयुक्ते स्तः।।
उत्तर:
पर्वत + आरोहणाय

146. संस्कृतवाङ्मयं सहस्रशः सुमधुरवचनैः सम्यग् अलङ्कृतं वर्तते।
उत्तर:
संस्कृतवाक् + मयं, सम्यक् + अलङ्कृतं

147. गुरुवासरे अर्धावकाशानन्तरं सभागारे एका संङ्गोष्ठी भविष्यति।।
उत्तर:
अर्ध + अवकाश + अनन्तरं

148. छात्रैः कृतस्य विशिष्टाध्ययनस्य परिचयः अस्मभ्यं भविष्यति।
उत्तर:
विशिष्ट + अध्ययनस्य

149. वराहमिहिरेण स्वग्रन्थे वृक्षायुर्वेदः, वास्तुविज्ञानं, ज्योतिषं इत्यादयः विषयाः वर्णिताः।
उत्तर:
वृक्ष + आयुवेदः, इति + आदयः

NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit

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