CBSE Class 11 Sanskrit वर्तनी
इस भाग में वर्णों का वियोग तथा संयोग किया जाता है। वर्ण वियोजन के लिए एक तथा वर्ण संयोजन के लिए भी एक अंक निर्धारित है।
(i) वर्णवियोजनम्
(Separation of Letters) 1 अङ्कः
गुरु-शिष्य-संवाद
गुरुजी : प्रिय मोहन, यह वाक्य पढ़ो’इह अहनि अहनि भूतानि यमालयम् गच्छन्ति।
गुरुजी : अब बताओ, इस वाक्य में कौन-कौन से पद हैं और कुल कितने पद हैं?
मोहन : गुरुजी, इस वाक्य में –
- इह
- अहनि
- अहनि
- भूतानि
- यमालयम्
- गच्छन्ति-ये छः पद हैं।
गुरुजी : बिल्कुल ठीक। प्रत्येक पद में कौन-कौन से वर्ण हैं? लिखकर दिखाओ।
मोहन :
- इह = इ ह अ
- अहनि = अ ह् अन् इ
- अहनि = अ ह् अन् इ
- भूतानि = भ् ऊ त् आ न् इ
- यमालयम् = य् अ म् आ ल् अ य अ म्
- गच्छन्ति = ग् अ च् छ् अ न् त् इ
गुरुजी : बहुत ठीक। मैं प्रसन्न हूँ। यही वर्ण-वियोजन है। इसी प्रकार’विशालः मम मित्रम् अस्ति।’
विशालः = व् + इ + श् + आ + ल् + अः।
मम = म् + अ + म् + आ
मित्रम् = म् + इ + त् + र् + अ + म्।
अस्ति = अ + स् + त् + इ।
मात्रा
व्यंजनों के बाद स्वरों को नहीं लिखा जाता अपितु स्वरों के स्थान पर उनके चिह्न लगा दिए जाते हैं। स्वरों के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले इन चिह्नों को मात्राएँ कहते हैं। उदाहरणतया ‘आ’ स्वर के स्थान पर ‘T’ मात्रा जोड़ दी जाती है। इन मात्राओं को जोड़ते समय व्यञ्जन-सूचक चिह्न को हटा दिया जाता है। जैसे-प् + आ = पा। नीचे सब स्वरों की मात्राओं को उदाहरणों के साथ स्पष्ट किया जा रहा है –
नोट – ‘अ’ स्वर की अलग मात्रा नहीं होती। किसी भी व्यञ्जन में इसका संयोग सूचित करने के लिए उस व्यञ्जन के नीचे लगे हुए व्यञ्जन-सूचक चिह्न को हटा दिया जाता है। जैसे – क् + अ = क।
पदों/शब्दों में समाए हुए वर्गों के क्रम को दिखाने के लिए उन पदों/शब्दों के उच्चारण को ध्यान में रखना चाहिए। इससे वर्णों के क्रम को दर्शाना आसान हो जाता है। दूसरे, मात्राओं के स्थान पर उसके स्वर दर्शाए जाते हैं। जैसे –
(ii) वर्णसंयोजनम्
(Combination of Letters) 1 अङ्कः
वर्णों का संयोग करते समय व्यञ्जन के बाद आने वाले स्वरों को मात्राओं में बदल दिया जाता है। निम्नलिखित उदाहरण द्रष्टव्य हैं –
मिश्रित-अभ्यासः
(I) निम्नलिखितानां वर्णवियोजनं कुरुत। (निम्नलिखित का वर्णवियोजन करें)
(II) निम्नलिखितानां वर्णसंयोजनं कुरुत। (निम्नलिखित का वर्णसंयोजन करें)
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